मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

*आदी शंकराचार्य लिखित साहित्य*

*आदी शंकराचार्य लिखित साहित्य*

अष्टोत्तरसहस्रनामावलिः
उपदेशसहस्री
चर्पटपंजरिकास्तोत्रम्‌
तत्त्वविवेकाख्यम्
दत्तात्रेयस्तोत्रम्‌
द्वादशपंजरिकास्तोत्रम्‌
पंचदशी कूटस्थदीप.
चित्रदीप
तत्त्वविवेक
तृप्तिदीप
द्वैतविवेक
ध्यानदीप
नाटक दीप
पञ्चकोशविवेक
पञ्चमहाभूतविवेक
पञ्चकोशविवेक
ब्रह्मानन्दे अद्वैतानन्द
ब्रह्मानन्दे आत्मानन्द
ब्रह्मानन्दे योगानन्द
महावाक्यविवेक
विद्यानन्द
विषयानन्द

परापूजास्तोत्रम्‌
प्रपंचसार
भवान्यष्टकम्‌
लघुवाक्यवृत्ती
विवेकचूडामणि
सर्व वेदान्त सिद्धान्त सार संग्रह
साधनपंचकम
भाष्ये अध्यात्म पटल भाष्य
ईशोपनिषद भाष्य
ऐतरोपनिषद भाष्य
कठोपनिषद भाष्य
केनोपनिषद भाष्य
छांदोग्योपनिषद भाष्य
तैत्तिरीयोपनिषद भाष्य
नृसिंह पूर्वतपन्युपनिषद भाष्य
प्रश्नोपनिषद भाष्य
बृहदारण्यकोपनिषद भाष्य
ब्रह्मसूत्र भाष्य
भगवद्गीता भाष्य
ललिता त्रिशती भाष्य
हस्तामलकीय भाष्य
मंडूकोपनिषद कारिका भाष्य
मुंडकोपनिषद भाष्य
विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र भाष्य
सनत्‌सुजातीय भाष्य

छोट्या तत्त्वज्ञानविषक रचना (कंसात श्लोकसंख्या/ओवीसंख्या)
अद्वैत अनुभूति (८४)
अद्वैत पंचकम्‌ (५)
अनात्मा श्रीविगर्हण (१८)
अपरोक्षानुभूति (१४४)
उपदेश पंचकम्‌ किंवा साधन पंचकम्‌ (५)
एकश्लोकी (१)
कौपीनपंचकम्‌ (५)
जीवनमुक्त आनंदलहरी (१७)
तत्त्वोपदेश(८७)
धन्याष्टकम्‌ (८)
निर्वाण मंजरी (१२)
निर्वाणशतकम्‌ (६)
पंचीकरणम्‌ (गद्य)
प्रबोध सुधाकर (२५७)
प्रश्नोत्तर रत्‍नमालिका (६७)
प्रौढ अनुभूति (१७)
यति पंचकम्‌ (५)
योग तरावली(?) (२९)
वाक्यवृत्ति (५३)
शतश्लोकी (१००)
सदाचार अनुसंधानम्‌ (५५)
साधन पंचकम्‌ किंवा उपदेश पंचकम्‌ (५)
स्वरूपानुसंधान अष्टकम्‌ (९)
स्वात्म निरूपणम्‌ (१५३)
स्वात्मप्रकाशिका (६८)
गणेश स्तुतिपरगणेश पंचरत्‍नम्‌ (५)
गणेश भुजांगम्‌ (९)
शिवस्तुतिपरकालभैरव अष्टकम्‌ (१०)
दशश्लोकी स्तुति (१०)
दक्षिणमूर्ति अष्टकम्‌ (१०)
दक्षिणमूर्ति स्तोत्रम्‌ (१९)
दक्षिणमूर्ति वर्णमाला स्तोत्रम्‌ (१३)
मृत्युंजय मानसिक पूजा (४६)
वेदसार शिव स्तोत्रम्‌ (११)
शिव अपराधक्षमापन स्तोत्रम्‌ (१७)
शिव आनंदलहरी (१००)
शिव केशादिपादान्तवर्णन स्तोत्रम्‌ (२९)
शिव नामावलि अष्टकम्‌ (९)
शिव पंचाक्षर स्तोत्रम्‌ (६)
शिव पंचाक्षरा नक्षत्रमालास्तोत्रम्‌ (२८)
शिव पादादिकेशान्तवर्णनस्तोत्रम्‌ (४१)
शिव भुजांगम्‌ (४)
शिव मानस पूजा(५)
सुवर्णमाला स्तुति (५०)
शक्तिस्तुतिपरअन्‍नपूर्णा अष्टकम्‌ (८)
आनंदलहरी
कनकधारा स्तोत्रम्‌ (१८)
कल्याण वृष्टिस्तव (१६)
गौरी दशकम्‌ (११)
त्रिपुरसुंदरी अष्टकम्‌ (८)
त्रिपुरसुंदरी मानस पूजा (१२७)
त्रिपुरसुंदरी वेद पाद स्तोत्रम्‌ (१०)
देवी चतु:षष्ठी उपचार पूजा स्तोत्रम्‌ (७२)
देवी भुजांगम्‌ (२८)
नवरत्‍न मालिका (१०)
भवानी भुजांगम्‌ (१७)
भ्रमरांबा अष्टकम्‌ (९)
मंत्रमातृका पुष्पमालास्तव (१७)
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्‌
ललिता पंचरत्नम्‌ (६)
शारदा भुजंगप्रयात स्तोत्रम्‌ (८)
सौंदर्यलहरी (१००)
विष्णू आणि त्याच्या अवतारांच्या स्तुतिपरअच्युताष्टकम्‌ (९)
कृष्णाष्टकम्‌ (८)
गोविंदाष्टकम्‌ (९)
जगन्‍नाथाष्टकम्‌ (८)
पांडुरंगाष्टकम्‌ (९)
भगवन्‌ मानस पूजा (१०)
मोहमुद्‌गार (भज गोविंदम्‌) (३१)
राम भुजंगप्रयात स्तोत्रम्‌ (२९)
लक्ष्मीनृसिंह करावलंब (करुणरस) स्तोत्रम्‌ (१७)
लक्ष्मीनरसिंह पंचरत्‍नम्‌ (५)
विष्णुपादादिकेशान्त स्तोत्रम्‌ (५२)
विष्णु भुजंगप्रयात स्तोत्रम्‌ (१४)
षट्‌पदीस्तोत्रम्‌ (७)
इतर देवतांच्या आणि तीर्थांच्या स्तुतिपरअर्धनारीश्वरस्तोत्रम्‌ (९)
उमा महेश्वर स्तोत्रम्‌ (१३)
काशी पंचकम्‌ (५)
गंगाष्टकम्‌ (९)
गुरु अष्टकम्‌ (१०)
नर्मदाष्टकम्‌ ९)
निर्गुण मानस पूजा (३३)
मनकर्णिका अष्टकम्‌ (९)
यमुनाष्टकम्‌ (८)
यमुनाष्टकम्‌-२ (९)

*अष्ट -शंकरुद्घोष*

(१) श्री आद्य शंकराचार्य इस कलिकाल में सनातन हिन्दू धर्म के सर्वोच्च तथा प्रामाणिक जगद्गुरु हैं - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(२) श्री आद्य शंकराचार्य ने जो कहा है उसी के अनुकूल किसी भी वर्त्तमान संन्यासी अथवा अन्य धर्मोपदेशक का कथन मान्य है तद्विपरीत नही - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(३) श्री आद्य शंकराचार्य का विरचित शांकर भाष्य ही सनातन धर्म का यथार्थ अभिप्राय व्यक्तकरता है , यह भाष्य सनातन वैदिक धर्म का प्रामाणिक सार -सर्वस्व है - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(४) श्री आद्य शंकराचार्य के विरचित साहित्य का एक -एक वाक्य सनातन हिन्दू धर्म का सम्पोषक अमृतरस है - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(५) श्री आद्य शंकराचार्य का ध्यान , उनकी धारणा , उन पर दृढ विश्वास , उनके दर्शाए मार्ग का अनुगमन - ये हमारा धर्म है - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(६) श्री आद्य शंकराचार्य ब्राह्मणत्व के आदर्श , हिन्दुत्व के गौरव तथा कैवल्य के नायक हैं - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(७) श्री आद्य शंकराचार्य के कथन के अनुकूल श्रुत्यर्थ उचित है तथा प्रतिकूल श्रुत्यर्थ अनुचित है - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

(८) श्री आद्य शंकराचार्य के सन्देश का प्रवर्तन , प्रवर्धन अथवा प्रचार -प्रसार ये प्रत्येक ब्राह्मण का कर्त्तव्य है और इसका अनुशीलन वा समर्थन प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !

- शिवः केवलोsहम् ।।

श्रीजगद्गुरुभ्यो नमः ।।
धर्म की जय हो !
अधर्म का नाश हो !
प्राणियों में सद्भावना हो !
विश्व का कल्याण हो !
गोहत्या बंद हो !
गोमाता की जय हो !
हर हर महादेव

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