गोधूली का समय
गोधूली का समय
यदा नातं गतो भानु गोधूल्या पूरित नभः ।
सर्व मंगल कार्येषु गोधूलिश्च प्रशस्यते ॥
अर्थ - सूर्य अस्त न होये और गोखुरन की धूर आकाश में पूरित हो रहा हो तो यह सम्य सम्पूण उत्तम कार्यों में मंगलदायक है , इसको गोधूलि कहते हैं ।
अष्टमें जीव भौमौ च बुधो वा भार्गवो ऽष्टमे ।
लग्ने षष्ठेऽष्टमें चन्द्रस्तदा गोधूलिनाशक ॥
जो लग्न से आठवें स्थान में भौम गुरु बुध शक ये ग्रह बैठे हो अथवा लग्न में वा छठवें चन्द्रमा हो तो गोधूजि नाशक दोष होता है । श्री रांदल ज्योतिष कार्यालय
सुरेन्द्रनगर पंडयाजी९८२४४१७०९०...
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ