माला योग एवम् सर्प योग
******माला योग -सर्प योग********
*केन्द्र स्थानेषु सर्वेषु शुभैः सर्वैश्च संसिथतैः ||
मालायोगः सर्वपापैः सर्पयोगः प्रकीर्तितः ||४३||*
---------भावार्थः----------
सब केन्द्र स्थानों में सम्पूर्ण शुभग्रह स्थित हों तो मालायोग होता है,
ओर यदि सब पाप ग्रह केन्द्रस्थान मे स्थित हों तो सर्पयोग होता है ||४३||
*********मालायोग फल*************
*वस्त्रवाहनभोगाद्यैर्युक्तः कान्तासुह्रत्प्रियः ||
मालायोगे समुत्पन्नेः सुखी भवति सर्वदा ||४४||
----------------भावार्थः-----------------
मालायोग में उत्पन्न पुरुष वस्त्र,वाहन और भोगादिकों से युक्त,स्त्री और मित्रों को प्रिय, और सदा सुखी हो.||४४||
*************सर्पयोग फल ************
क्रुरो निःस्वो दुःखितश्च परान्ने निरतः सदा ||
दीनश्च विषमो लोके सर्पयोगे प्रजायते ||४५||
---------------भावार्थ------------------
सर्पयोग में उत्पन्न पुरुष क्रुर दरिद्री, दुःखित,सदा ही दुसरे के अन्न का खानेवाला,दीन,और संसार में विषम (कुटिल)हो.||४५||
(लग्न चंद्रिका सा.भ.र १९२)
पंडयाजी ९८२४४१७०९०...
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