शनिवार, 7 दिसंबर 2019

रुद्रयाग आहुति विचार*

*रुद्रयाग आहुति विचार*

१.षड़ङ्ग पाठ को रूपक कहते हैं।
२. ११ ब्राह्मण रुद्राभिषेक करें तो 'लघुरुद्र' होता है।
३. ११ लघुरुद्र करने से महारुद्र होता है।
४. ११ महारुद्र करने से 'अतिरुद्र' होता है

मिथिलामें १०० मन्त्र को " *शतरुद्रीय* " कहते हैं।अस्तु

रुद्रयाग में १८११ ( एक हजार आठ सौ ग्यारह) आहुति होती है।महारुद्रयाग में २१९१३१ (दो लाख उन्नीस हजार एक सौ इकतीस) आहुति होती है।
अतिरुद्रयाग में २४१०४४१. (चौबीस लाख दस हजार चार सौ इकतालीस) आहुति होती है।

१ नमस्ते में १६१ आहुतियां होती है।

*यज्जाग्रतः* • १
*सहस्त्रशीर्षा* :• १
*अद्भ्यः* • १
*आशुः शिशा:* • १
*विभ्राट* :• १
*नमस्ते* :• १७७१. १६१ × ११ = *१७७१* . कुल
*वाजश्च* :• ११
*ऋचं वाचम्* :• २४.

योग:- *१८११ आहुतियां*

रुद्रयाग को ११ गुना बढानेंसे लधुरुद्र तथा लघुरुद्र को ठिक वैसे ही ११ गुना बढाकर समजना चाहिये। अस्तु

यह रुद्रयाग पद्धति लधुरुद्र महारुद्र तथा अतिरुद्र की समजनी चाहिये।।

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