शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

||हवन में कवच के इन चार मन्त्रों की आहुति न दे||

||हवन में कवच के इन चार मन्त्रों की आहुति नहीं देनी चाहीयें||

। अत्र के चित्कवचादि त्रयस्य रहस्य त्रयस्य च प्रति श्लोकं होम मनुतिष्ठन्ति ॥
तत्र कवचांशे होमोनयुक्तस्तन्त्रान्तरे निषेधात् ॥
चण्डी स्तवे प्रतिश्लोकमेकाहुतिरिहेष्यते ॥
रक्षा कवचगैर्मन्त्रैर्होमं तत्र न कारयेत् ॥
मौखर्यात्कवचगैमंत्रैः प्रति श्लोकं जुहोति यः ॥
स्याद्देहपतनं तस्य नरकं च प्रपद्यते ॥
अंधकाख्यो महादैत्यो दुर्गा भक्ति परायणः । ।
कवचाहुतिजात्यापान्महेशेन निपातितः ॥ इतिकात्यायनी तंत्रे ॥
जो इन ४ मन्त्रों की आहुति करता है ।
उसका देह नाश होता है ।
इस कारण इन ४ मन्त्रों के स्थान में " ॐनमश्चण्डिकायै स्वाहा " बोलकर आहुति देना मन्त्रों का केवल पाठ करना चाहिए ॥
तथा इनका पाठ करने से सब प्रकार का भय नष्ट हो जाता है । । शूलेनपाहि० इस मन्त्र का केवल १२५००० यथा विधि जप करके फूंक मारने से आधा शीशी आदि माथे के दर्द दूर होंगे सत्य है ।
...दुर्गार्चनसृतौ....२८२ पाना

ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः । ।
ज्ञान वैराग्ययोश्चापि षष्णां भग इतीर्यते । ।
नित्यं षड्गुणैश्चर्य शालिनीत्यर्थः ।

ध्यान सहित शक्रादयः स्तुति के १३ पाठ । सूर्योदय के पूर्व निरविच्छिन्न ४९ दिन तक निरन्तर करने से स्वाभीष्ट फल की प्राप्ति होगी तथा निशीथ कालानन्तर दीपक का पूजन करके दुर्गेस्मृता की ११ माला नमस्कारयुक्त जपने से ४९ दिन में धन की प्राप्ति अवश्य होगी और आपत्ति भी नष्ट होगी । स्नानान्तर शक्रादयः स्तुति का १ पाठ करने से भी लाभ होगा ।
श्री रांदल ज्योतिष कार्यालय
सुरेन्द्रनगर पंडयाजी९८२४४१७०९०...

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