बुधवार, 26 जून 2019

शमी वृक्ष

*1. शमी के वृक्ष का महत्व*
हिंदू सभ्यता में मान्यता है कि कुछ पेड़-पौधों को घर में लगाने या उनकी उपासना करने से घर में खुशहाली रहती है या घर में सदैव लक्ष्मी का वास रहता है। पीपल, केला और शमी का वृक्ष आदि ऐसे पेड़ हैं जो घर में समृद्धि प्रदान करते हैं। इसी तरह मान्यता है कि शमी का पेड़ घर में लगाने से देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।

*2. शनि के प्रकोप से बचाएगा शमी*
शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में शनि का प्रकोप कम होता है। यूं तो शास्त्रों में शनि के प्रकोप को कम करने के लिए कई उपाय बताएं गए हैं। लेकिन इन सभी उपायों में से प्रमुख उपाय है शमी के पेड़ की पूजा। घर में शमी का पौधा लगाकर पूजा करने से आपके कामों में आने वाली रुकावट दूर होगी।
*3. यज्ञ की वेदी के लिए पवित्र लकड़ी*
शमी वृक्ष की लकड़ी को यज्ञ की वेदी के लिए पवित्र माना जाता है। शनिवार को करने वाले यज्ञ में शमी की लकड़ी से बनी वेदी का विशेष महत्व है। एक मान्यता के अनुसार कवि कालिदास को शमी के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने से ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
*4. गजानन का प्रिय वृक्ष शमी*
शमी को गणेश जी का प्रिय वृक्ष माना जाता है। इसलिए भगवान गणेश की आराधना में शमी के वृक्ष की पत्तियों को अर्पित किया जाता है। भगवान गणेश की पूजा में प्रयोग की जाने वाली इस पेड़ की पत्तियों का आयुर्वेद में भी महत्व है। आयुर्वेद की नजर में शमी अत्यंत गुणकारी औषधि है। कई रोगों में इस वृक्ष के अंग काम लिए जाते हैं।
*5. शमी के वृक्ष के दर्शन शुभ*
उत्तर भारत के बिहार और झारखंड में सुबह के समय उठने के बाद शमी के वृक्ष के दर्शन को शुभ माना जाता है। बिहार और झारखंड में यह वृक्ष अधिकतर घरों के दरवाजे के बाहर लगा हुआ मिलता है। लोग किसी भी काम पर जाने से पहले इसके दर्शन करते और इसे माथे से लगाते हैं, ऐसे करने से उन्हें उस काम में कामयाबी मिलती है।
*6. कई दोषों का निवारण करता है शमी*
शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है। सभी यज्ञों में शमी वृक्ष का उपयोग शुभ माना गया है। शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के पंचाग, यानी फूल, पत्तियों, जड़, टहनियों और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।
*7. दशहरे में शमी का पूजन लाभकारी*
दशहरे पर शमी के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र में भी शमी के वृक्ष की पत्तियों से पूजन करने का महत्व बताया गया है। नवरात्र के नौ दिनों में प्रतिदिन शाम के समय वृक्ष का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले शमी के वृक्ष के सम्मुख अपनी विजय के लिए प्रार्थना की थी।
8. *दरवाजे की बायीं तरफ लगाएं पेड़*
शमी की पूजा के साथ ही एक सवाल यह भी है कि इस पेड़ को घर में किस तरफ लगाना चाहिए। शमी के वृक्ष को घर के मुख्य दरवाजे के बांयी तरफ लगाएं। इसके बाद नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं। आपके घर और परिवार के सभी सदस्यों पर सदैव शनि की कृपा बनी रहेगी।
9. *पीपल का विकल्प शमी का वृक्ष*
पीपल और शमी दो ऐसे वृक्ष हैं, जिन पर शनि का प्रभाव होता है। पीपल का वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे घर में लगाना संभव नहीं हो पाता। वास्तु शास्त्र के मुताबिक नियमित रूप से शमी की पूजा करने और उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष और उसके कुप्रभावों से बचा जा सकता है।

किजिए हरी पोटली का उपाय, दूर होगी धन की समस्या
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आज बुधवार है। अगर आप धन संबंधी परेशानी से जूझ रहे हैं। तो ये उपाय करें, धन की वर्षा होगी।

धन से जुड़ी समस्याओं के लिए शास्त्रीय उपाय आजमाना आम बात है। इसमें वास्तु से लेकर छोटे-छोटे टोटके तक शामिल हैं। कुछ ऐसे उपाय हैं जो किसी विशेष दिन पर आधारित होते हैं। लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है जो गणेश को पुत्र समान मानती हैं। इसलिए बुधवार जो शास्त्रानुसार बुद्धिदेव गणपति का माना गया है, इस दिन किए गए धन संबंधी उपाय भी फलकारी माने गए हैं।
हम आपको बता रहे हैं बुधवार के दिन किए जाने वाले कुछ खास उपाय जो ना सिर्फ आपको आर्थिक लाभ दिलाएंगे, बल्कि इससे धन संबंधी आपकी हर समस्या खत्म हो सकती है। इसे आजमाते हुए बस इतना ध्यान रखें कि इन प्रयोगों को आप किसी बुधवार को ही करें।

हर साल बदलें पोटली
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माह के किसी भी बुधवार को यह पोटली तैयार करें और हर एक साल बाद इसे बदल दें। इसके लिए आप बाजार से बनी-बनायी कोई हरे रंग की छोटी पोटली भी यूज कर सकते हैं, लेकिन अगर खुद बनाएं तो ज्यादा अच्छा है। पोटली का आकार आप अपनी सुविधा और पसंद से रख सकते हैं।
खुद बनाएं पोटली
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सबसे पहले सुबह स्नान के बाद गणेश जी की तस्वीर के सामने बैठकर हरे रंग के कपड़े से खुद ही सिलाई कर एक छोटी पोटली बनाएं। अब वहीं बैठकर गणेश स्त्रोत का 11 बार पाठ करें। इस तैयार पोटली में 7 दाने साबुत मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रुद्राक्ष, चांदी का एक सिक्का (या इसकी जगह 2 सुपारी प्रयोग करें) और हल्दी की दो गांठें रखें।
करें दान-पुण्य
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अब गणेश जी को शुद्ध घी से बने मोदक चढ़ाएं। इस थैली को तिजोरी में या जहां भी आप पैसा रखते हों, वहां रखें। इसके साथ ही बुधवार के दिन जरूरतमंद गरीबों को उनकी जरूरत की चीजें दान करें। आपको अवश्य ही आर्थिक लाभ होगा।

बहते जल में हरे मूंग बहाएं
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इसके अलावा हर माह के प्रथम बुधवार को हरे रंग के एक साफ कपड़े या रुमाल में 5 मुट्ठी साबुत हरे मूंग बांधकर एक पोटली की तरह बना लें। सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद इसे किसी भी बहते जल में प्रवाहित कर दें। आपकी आर्थिक समस्याओं का निवारण होगा।

मिलेगा आर्थिक संकट से छुटकारा
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इस उपाय को किसी भी माह में उस बुधवार से शुरू करें जो शुक्ल पक्ष में पड़ रहा हो। ऐसे किसी बुधवार से शुरु करते हुए भगवान गणेश की मूर्ति के सामने लगातार 21, 42, 64 या 84 दिनों तक जावित्री चढ़ाएं और रात में सोने से पहले खुद भी जावित्री खाकर सोएं। इससे आपकी हर आर्थिक समस्या खत्म होगी, धन आगमन में आ रही रुकावटें दूर होंगी और परिवार में सुख-समृद्धि आएगी।

खानपान में दो दिन रखें सावधानी
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खाने की वस्तुओं के बारे में आपको बुधवार के साथ ही उसके ठीक दूसरे दिन, यानि गुरुवार को भी ध्यान रखना होगा। जहां तक संभव हो बुधवार के दिन हरे रंग के खाद्य पदार्थों, हरी सब्जियों का सेवन करें लेकिन पीले रंग के खाद्य पदार्थ खाने से बचें। इसी प्रकार गुरुवार को पीले रंग के खाद्य पदार्थ तो खाएं, लेकिन हरे रंग के खाद्य पदार्थ जहां तक संभव हो खाने से बचें।

करें मंत्र जाप
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माह के किसी भी बुधवार से शुरू करते हुए लगातार 21 दिनों तक मां लक्ष्मी की तस्वीर के सामने बैठकर गायत्री मंत्र या किसी भी लक्ष्मी मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके अलावा मां लक्ष्मी को कमलगट्टा या कमल का फूल चढ़ाएं।

भाई-बहनों से बैर ना रखें
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बुधवार को कभी भी अपने भाई-बहनों से बैर ना रखें। इससे गणपति और लक्ष्मी दोनों ही कुपित होते हैं। यह आपकी बुद्धि का विकास रोकते हैं और सही निर्णय ना लेने के कारण आपको धन का नुकसान होता है। इससे बचने और स्थिति में सुधार के लिए बुधवार को अपने भाई-बहनों को उपहार दें और उनसे सबंधों में सुधार करें, इससे धन संबंधी बाधाएं दूर होंगी।

सोमवार, 24 जून 2019

अषाढी बीज

ખેણું ,  પીણું  નેં  ખારાયેણું........,
જીંદગી  મેં  બસ  હીં   જ........,
મોજ  મેં  રોણું  ને  મોજ  મેં  જીયણું......,
કોય  કીં  પણ  ચે  છતાં  પ  મોજ  મેં  રોણું.....,
સમજ  પે   ત   બોલણું  નેકાં  ત  ચોપ  રોણું......,
ધોનિયાં  જા  ભાર   ખણી  કોર  આય કેણું......
એતરે   ચાંતો..થોડો  જીયણું   પ  મોજ  મેં  જીયણું....
આંકે મણીકે કચ્છી નવે વષૅ જી લખ લખ વઘાયું
રાંદલ જયોતિષ કાર્યાલય પંડયા જી તરફ થી
અષાઢી બીજ ની શુભ કામના....

કચ્છી  નવું  વર્ષ  *"અષાઢી  બીજ"*  આપને  અને  આપના  પરિવાર  ને  *"સુખ,  શાંતિ  સમૃદ્ધિ"*  આપનારું  બની  રહે  એવી  આપને  અને  આપના  પરિવાર  ને  મારી  અને  મારા  પરિવારની  હાર્દિક  શુભેચ્છા....

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
અન્ન વઘે ઘન વઘે, શાંતી વઘે,
હેત વઘે, પ્રેમ વઘે,
વઘે દયા ભાવ,
વઘે મેણી જો સહયોગ
હીજ અસાંજી શુભેચ્છા ,
હીજ અસાંજા ભાવ!!
”કચ્છી નવે વષૅ જી” લખ લખ વઘાયું,
“શુભ અષાઢી બીજ”

गुरु का खगोलीय स्वरुप #Astronomical form of the master(Jupiter)

~~~#गुरु का खगोलीय स्वरुप ~~~
~~~ #Astronomical form of the master(Jupiter)~~~
गुरु एक पीत वर्ण का ग्रह है ।
इसका सौर मंडल में पांचवां स्थान है ।
यह सूर्य से लगभग 77 80 0000 कि . मी . की दूरी पर है और लगभग 11 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करत है ।
पृथ्वी से बहुत दूर होते हुए भी गुरु अत्यधिक देदीप्यमान दिखाई देता है ।
यह सौर मण्डल का सम्राट ग्रह है ।
अतः शास्त्रों में इसके लिए ' ' गुरु ' तथा ' गुरु ' ' नामों का प्रयोग किया गय हैं ।
इसका व्यास 1 , 43 640 किमी . है ।
गुरु यदि भीतर से खोखला हो तो पृथ्वी जैसे 1600 पिण्ड उसमें समा सकते हैं ।
इसका गुरुत्व भी पृथ्वी से 317 गुन्ना हैं ।
यदि कोई व्यक्ति पृथ्वी पर 77 कि . ग्रा. भार का हो तो ' ' गुरु ' ' पर जाकर उसका भार 22 टन हो जायेगा ।
गुरु के चंद्रमा की संख्या तेरह हैं ।
गुरु ग्रह अस्त होने के 30 दिन बाद वक्री होता है । उदय के 129 दिन बाद वक्री होता है ।
वक्री के 128 दिन बाद मार्गी होता है तथा मार्गी के 129 दिन बाद पुनः अस्त होता हैं ।
गुरु के अतिरिक्त गुरु , देवगुरु , वांगिश , अंगिरा , जीव आदि नाम भी इसके पर्याय माने गये हैं ।
गुरु की गति - गुरु अपनी धुरी पर 9 घंटा 55 मिनट में एक चक्कर लगता है ।
यह एक सैकंड में 8 मील चलता है तथा सूर्य की परिक्रमा  332 दिन 35 घंटे 5 पल में पूरी करता है । स्थूल तौर पर यह 12 या 13 महीनों में एक राशि ,
160 दिन में एक नक्षत्र , 43 दिन एक चरण पर रहता है । गुरु ग्रह अस्त होने के 30 दिन बाद उदय होता है । उदय के 128 दिन बाद वक्री होता है ।
वक्री के 120 दिन बाद मार्गी होता है तथा मार्गी के 128 दिन बाद पुनः अस्त हो जाता है ।
गणितागत स्पष्टीकरण से चार राशि या 120 डिग्री अंश के पीछे रहने पर गुरु वक्री हो जाता है ।
सूर्य से चार राशि 120 डिग्री अंश के आगे रहने पर यह मार्गी होता है ।
वक्री अवस्था में 12 डिग्री अंश तक पीछे हटता है तथा चार मास तक वक्री रहता है तथा पुन : ४ मास तक मार्गी रहता है ।
जब इसकी गति 14 / 4 की होती है . तब यह शीघ्रगामी ( अतिचारी ) हो जाता है ।
गुरु 45 दिन जुक अतिचारी रहता है । यह सूर्य से दूसरी राशि पर शीघ्रगामी , तीसरी पर समचारी , चौथी पर मंदचारी , पांचवीं और छठी पर वक्री , सातवीं और आठवीं पर अतिवक्री , नवम और दशम पर कुटिल और ग्यारहवीं तथा बारहवीं राशि पर पुनः शीघ्रगामी हो जाता हैं । वक्री होने के पांच दिन आगे या पीछे यह स्थिर रहता है ।
#श्री रांदलज्योतिषकार्यालय
#पंडयाजी+919824417090
#सुरेन्दनगर

शनिवार, 15 जून 2019

त्रिकाल ज्ञानी होनेका योग (ત્રિકાળ જ્ઞાની થવાનો યોગ)

          ~~~ત્રિકાળ જ્ઞાની થવાનો યોગ~~~               કેંદ્રમાં(१~४~७~१०) કે ત્રિકોણમાં(५~९) પાંચમાં ભાવનો કારક ગ્રહ(ગુરૂ) બેઠો હોય  અને  બુધ, શુક્ર
ગમે તે ભાવે ભેગા બેઠા હોય  અથવા  તે બંને ગ્રહો
કારક ગ્રહને દેખતા હોય વળી તે બંને ગ્રહો નવમાંશ કુંડળીમાં શુભ ગ્રહની રાશીમાં હોય તો તે ભૂતકાળ ભવિષ્યકાળઅને વર્તમાનકાળની વાત જાણનાર થાય.... 
પંડ્યાજી +919824417090.......

~~~त्रिकाल ज्ञानी होने का योग~~~
केंद्र में (१~४~७~१०)या त्रिकोण में (५~९)पंचमभाव का कारक (गुरु) बेठा हो. ओर बुध शुक्र कीसी भी भाव में हो ओर गुरु के उपर बुघ ओर शुक्र की द्रष्टी पडती हो ओर  बुध ,शुक्र नवमांश कुंडली में शुभ ग्रह की राशी में हो तो जातक  भूतकाल भविष्यकाल ओर  वर्तमानकाल  जानने वाला होता हैं...
पंडयाजी ~+९१९८२४४१७०९० (भ. वे. २८०)

सोमवार, 3 जून 2019

Marriage yog विवाह योग

~~~~ #વિવાહ યોગ#~~~~
१~સાતમાના સ્વામી  ની રાશી કે નવમાંશ ના સ્વામી  અથવા  શુક્ર -ચંદ્ર  અેમાં જે બળવાન હોય તેની દશામાં વિવાહ થવા પામે...
२~સાતમા નો સ્વામી જેમાં હોય તે રાશી થી અથવા નવમાંશની રાશી થી ત્રિકોણમાં ગોચર વડે ગુરૂ આવે તો વિવાહ થવા પામે...
३~શુક્ર  સાથે સાતમાના સ્વામી ની દશા અંતરર્દશામાં વિવાહ થવા પામે...
४~બીજા ભાવનો સ્વામી જે રાશિમાં હોય.તેના સ્વામી ની દશા -અંતરર્દશા માં વિવાહ થવા પામે...
५~ દશમાં ભૂવન ના આઠમાં ભૂવન ના સ્વામીની યા સાતમાના સ્વામી સાથે  સાતમે રહેલા ગ્રહની દશા -અંતરર્દશામાં વિવાહ થવા પામે...
६~શુભ ગ્રહ સાથે સાતમાનો સ્વામી નવમે હોય તો તેની દશા બેસતા યા પાપગ્રહની રાશિમાં શુભગ્રહ હોય તો તેની દશાના મધ્યમાં યા ક્રુરગ્રહ પાપગ્રહની રાશીમાં હોય તો દશાનાં અંતમાં યા શુભગ્રહની રાશી મા શુભગ્રહ હોય તો હંમેશાં સારૂં ફળ મળવા પામે...
७~ જે રાશીમાં લગ્નનો સ્વામી હોય તેના નવમાંશ નો સ્વામી ચન્દ્ર ને ગુરૂ પોતાની રાશીમાં હોય તો સ્ત્રી નાં લાભવાળો યા સાતમાનો સ્વામી ગુરૂ ને ચન્દ્ર +શુક્ર નાં ઘરમાં યા કેન્દ્રમાં હોય  યા ગોચર વડે ગુરૂ સાથે હોય તો સ્ત્રી નાં લાભ વાળો થાય ...શ્રી રાંદલ જ્યોતિષ કાર્યલય  પંડયાજી 9824417090...