#भगवान_जगन्नाथजी__सुभद्राजी_तथा_बलभद्र_जी_के #रथों_का_संक्षिप्त_वर्णन
#भगवान_जगन्नाथजी__सुभद्राजी_तथा_बलभद्र_जी_के
#रथों_का_संक्षिप्त_वर्णन
#भगवान्_जगन्नाथजी_के_रथ_का_संक्षिप्त_परिचय
1. रथ का नाम -नंदीघोष रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -832
3.कुल चक्के -16
4. रथ की ऊंचाई- 45 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 34 फ़ीट 6 इंच
6.रथ के सारथि का नाम - दारुक
7.रथ के रक्षक का नाम- गरुड़
8. रथ में लगे रस्से का नाम- शंखचूड़ नागुनी
9.पताके का रंग- त्रैलोक्य मोहिनी
10. रथ के घोड़ो के नाम : वराह,गोवर्धन,कृष्णा,गोपीकृष्णा,नृसिंह,राम,नारायण,त्रिविक्रम,हनुमान,रूद्र ।।
#सुभद्राजी_के_रथ_का_संक्षिप्त_परिचय
1. रथ का नाम - देवदलन रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -593
3.कुल चक्के -12
4. रथ की ऊंचाई- 43 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 31 फ़ीट 6 इंच
6.रथ के सारथि का नाम - अर्जुन
7.रथ के रक्षक नाम- जयदुर्गा
8. रथ में लगे रस्से का नाम- स्वर्णचूड़ नागुनी
9.पताके का रंग- नदंबिका
10. रथ के घोड़ो के नाम -रुचिका,मोचिका, जीत,अपराजिता ।।
#बलभद्जी_के_रथ_का_संक्षिप्त_परिचय
1. रथ का नाम -तालध्वज रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -763
3.कुल चक्के -14
4. रथ की ऊंचाई- 44 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 33 फ़ीट
6.रथ के सारथि का नाम - मातली
7.रथ के रक्षक का नाम-वासुदेव
8. रथ में लगे रस्से का नाम- वासुकि नाग
9.पताके का रंग- उन्नानी
10. रथ के घोड़ो के नाम -तीव्र ,घोर,दीर्घाश्रम,स्वर्ण नाभ ।।
भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ:....
1 कृष्ण : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.।
2 गिरिधर : गिरी: पर्वत ,धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
3 मुरलीधर : मुरली को धारण करने वाले।
4 पीताम्बर धारी : पीत :पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
5 मधुसूदन : मधु नामक दैत्य को मारने वाले।
6 यशोदा या देवकी नंदन : यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
7 गोपाल : गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला।
8 गोविन्द : गौओं का रक्षक।
9 आनंद कंद : आनंद की राशि देंने वाला।
10 कुञ्ज बिहारी : कुंज नामक गली में विहार करने वाला।
11 चक्रधारी : जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
12 श्याम : सांवले रंग वाला।
13 माधव : माया के पति।
14 मुरारी : मुर नामक दैत्य के शत्रु।
15 असुरारी : असुरों के शत्रु।
16 बनवारी : वनो में विहार करने वाले।
17 मुकुंद : जिन के पास निधियाँ है।
18 योगीश्वर : योगियों के ईश्वर या मालिक।
19 गोपेश : गोपियों के मालिक।
20 हरि : दुःखों का हरण करने वाले।
21 मदन : सूंदर।
22 मनोहर : मन का हरण करने वाले।
23 मोहन : सम्मोहित करने वाले।
24 जगदीश : जगत के मालिक।
25 पालनहार : सब का पालन पोषण करने वाले।
26 कंसारी : कंस के शत्रु।
27 रुख्मीनि वलभ : रुक्मणी के पति ।
28 केशव : केशी नाम दैत्य को मारने वाले. या पानी के उपर निवास करने वाले या जिन के बाल सुंदर है।
29 वासुदेव :वसुदेव के पुत्र होने के कारन।
30 रणछोर :युद्ध भूमि स भागने वाले।
31 गुड़ाकेश : निद्रा को जितने वाले।
32 हृषिकेश : इन्द्रियों को जितने वाले।
33 सारथी : अर्जुन का रथ चलने के कारण।
35 पूर्ण परब्रह्म : देवताओ के भी मालिक।
36 देवेश : देवों के भी ईश।
37 नाग नथिया : कालियाँ नाग को मारने के कारण।
38 वृष्णिपति : इस कुल में उतपन्न होने के कारण
39 यदुपति : यादवों के मालिक।
40 यदुवंशी : यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।
41 द्वारकाधीश : द्वारका नगरी के मालिक।
42 नागर : सुंदर।
43 छलिया : छल करने वाले।
44 मथुरा गोकुल वासी : इन स्थानों पर निवास करने के कारण।
45 रमण : सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले।
46 दामोदर : पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी।
47 अघहारी : पापों का हरण करने वाले।
48 सखा : अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण।
49 रास रचिया : रास रचाने के कारण।
50 अच्युत : जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
51 नन्द लाला : नन्द के पुत्र होने के कारण।
🙏🌺 ।। जय श्री जगन्नाथ ।। 🌺🙏
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