*वेदस्य पर्यायवाची शब्दा:*
*वेदस्य पर्यायवाची शब्दा:*
(१) *श्रुति:-* सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्म के नि:श्वासभूत सूक्ष्म वेद का ऋषियों ने श्रवण किया था, तथा इस वेद को ऋषियों ने वैखरी वाणी में अपने शिष्य प्रशिष्यो को उपदेश द्वारा प्रदान किए जाने के कारण वेद को हम श्रुति कहते हैं। यह परंपरा आज भी गुरुकुल में विद्यमान है। (श्रुति: स्त्री वेद आम्नायस्रयी-अमरकोश:) श्रुयते धर्मोऽनया- इति वा.
(२) *आम्नाय:-* वैदिक मन्त्रो का शिक्षा ग्रन्थों में निर्दिष्ट विधि एवं आचार-संहिता के अनुसार बार-बार अभ्यास करने के कारण वेद को आम्नाय भी कहा जाता है।
(३) *आगम:-* धर्म के ज्ञान का साधन होने के कारण वेद को आगम कहते हैं। त्रयी- (वेदत्रयी) ऋग् यजु: साम- इन श्रचनात्मक तीन अवयवों से विभूषित होने के कारण वेद को त्रयी- कहते हैं।
(४) *निगम:-* निश्चत रूप से धर्म का ज्ञान कराने के कारण या आलौकिक ज्ञान (यागादि विषयक) कराने के कारण वेद को निगम कहा जाता है।
(५) *ब्रह्म:-* यज्ञ सम्बन्धी ज्ञान के साथ आध्यात्मिक तत्व (ब्रह्म) का भी प्रतिपादक होने के कारण अथवा स्वयं शब्द ब्रह्म होने के कारण वेद की ब्रह्म" शब्द से भी प्रसिद्धि है।
(६) *छन्द:-* वेदों में गायत्री इत्यादि छन्दो की बहुलता के कारण उपासकों अथवा अध्येताओं की सुरक्षा करने के कारण एवं आच्छादक (व्यापक) होने के कारण वेद को छन्द भी कहा जाता है।एक अन्य अर्थ के अनुसार आनन्द-दायक होने के कारण वेद को छन्द कहते हैं। (बहुलं छन्दसि)...
श्री रांदल ज्योतिष कार्यालय सुरेन्द्रनगर पंडयाजी ९८२४४१७०९०...
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ