सोमवार, 8 नवंबर 2021

|| द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र ||

|| द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र  ||

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्, उज्जयिन्यां महाकालं ओमकारं ममलेश्वरम् ||

अर्थात: सौराष्ट्र (गुजरात) में श्री सोमनाथ, श्रीशैल पर्वत (आन्ध्र प्रदेश) पर श्री मल्लिकार्जुन, उज्जैन (मध्य प्रदेश) में श्री महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर ममलेश्वरम|

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्, सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ||

अर्थात: परली (महाराष्ट्र) में श्री वैद्यनाथ, डाकिनी (महाराष्ट्र) में श्री भीमाशंकर, सेतुबंध (तमिलनाडु) पर श्री रामेश्वरम, दारुकावन (गुजरात) में श्री नागेश्वरम|

वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे, हिमालय तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ||

अर्थात: वाराणसी (उत्तर प्रदेश ) में श्री विशवनाथ, गौतमी नदी (महाराष्ट्र) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय (उत्तराखंड) पर श्री केदारनाथ और शिवालय (महाराष्ट्र) में श्री घृष्णेश्वर, में आप विराजमान हैं ।

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः, सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ||

अर्थात: जो नर प्रतिदिन प्रातः और संध्या काल के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नामो का पाठ करते है, इन ज्योतिर्लिंगों के स्मरण-मात्र से उनके सात जन्मों के पापों का विनाश हो जाता है |

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