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नवरात्री के दिनों में मां की भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना करने से वे अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इतना ही नहीं, ये नौ दिन सभी भक्तिमय रंग में रंग जाते हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखे जाते हैं।
*इस साल 7 अक्टूबर से नवरात्री शुरुआत होने जा रही है*
नवरात्री 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक चलेगी। नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है। मां दुर्गा अपने भक्तों के हर कष्ट हर लेती हैं।
नवरात्री के ये नौ दिन मां दूर्गा को समर्पित होते हैं। मां दूर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। 14 अक्टूबर तक चलने वाले इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्री का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है। आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है। नवरात्री के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है।
*नवदुर्गा: नौ रूपों में स्त्री जीवन का पूर्ण बिम्ब एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है नवदुर्गा के नौ स्वरूप।*
1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या "शैलपुत्री" स्वरूप है।
2. कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" का रूप है।
3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से
वह "चंद्रघंटा" समान है।
4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर
वह "कूष्मांडा" स्वरूप में है।
5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री
"स्कन्दमाता" हो जाती है।
6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री
"कात्यायनी" रूप है।
7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत
लेने से वह "कालरात्रि" जैसी है।
8. संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार
करने से "महागौरी" हो जाती है।
9 धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार
में अपनी संतान को सिद्धि(समस्त सुख-संपदा) का
आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री" हो जाती है।
*इस बार मां दुर्गा की सवारी*
धार्मिक मान्यता के अनुसार इन नौ दिनों तक मातारानी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं, ऐसा श्री रांदल ज्योतिष कार्यालय सुरेन्द्रनगर गुजरात से पंड्याजी बताते है, और देवी उनके दुखों को हर लेती हैं। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि वार के अनुसार मां दुर्गा किस चीज की सवारी करके प्रथ्वी लोक में आएंगी। अगर नवरात्री की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर नवरात्री गुरुवार या शुक्रवार से प्रारंभ होते हैं तो माता डोली पर सवार होकर आएंगी। इस साल नवरात्री गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। जिसके कारण वह डोली पर सवार होकर आएंगी।
कई बार तिथि घटने बढ़ने के कारण अष्टमी (Ashtami) और नवमी (Navmi) की तिथि में असमंजस की स्थिति बन जाती है। इस बार नवरात्री की एक तिथि घट रही है। इस बार 9 नहीं बल्कि 8 दिन के ही नवरात्री रखे जाएंगे। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्री 8 दिन के पड रहे हैं। इसबार नवरात्री के तीसरे दिन 9 अक्टूबर को एक ही दिन मां दूर्गा के चंद्रघंटा और कुष्मांडा स्वरुप की पूजा होगी। वहीं 13 अक्टूबर को अष्टमी व्रत रखा जाएगा। इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। 14 अक्टूबर को नवमी तिथि का व्रत रखा जाएगा। नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। वहीं 15 अक्टूबर को धूमधाम के साथ विजयदशमी यानी दशहरा मनाया जाएगा। इसी दिन दुर्गा विसर्जन भी किया जाएगा।
प्रतिपदा तिथि घटस्थापना शुभ मुहूर्त
विक्रम सम्वत 2077 अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ- 06 अक्टूबर 2021 दिन बृहस्पतिवार को शाम 04 बजकर 34 मिनट से
विक्रम सम्वत 2077 अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 07 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर
घटस्थापना मुहूर्त- 07 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 07 मिनट तक।
शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2077 तिथियां(2021)
7 अक्टूबर (पहला दिन)- मां शैलपुत्री की पूजा
8 अक्टूबर (दूसरा दिन)- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
9 अक्टूबर (तीसरा दिन)- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा
10 अक्टूबर (चौथा दिन)- मां स्कंदमाता की पूजा
11 अक्टूबर (पांचवां दिन)- मां कात्यायनी की पूजा
12 अक्टूबर (छठवां दिन)- मां कालरात्रि की पूजा
13 अक्टूबर (सातवां दिन)- मां महागौरी की पूजा
14 अक्टूबर (आठवां दिन)- मां सिद्धिदात्री की पूजा
15 अक्टूबर- दशमी तिथि ( व्रत पारण), विजयादशमी।