गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022

धनतेरस की रात 13 दीपक में डाल दें 1 रुपए की यह 1 चीज, किस्मत चमकेगी बेहतरीन*


धनतेरस की रात 13 दीपक में डाल दें 1 रुपए की यह 1 चीज, किस्मत चमकेगी बेहतरीन*
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*23 अक्टूबर 2022 को धनतेरस है। 
इस दिन भगवान यमराज, धन्वंतरि और चित्रगुप्तजी की पूजा की जाती है। इस दिन से दिवाली का पांच दिनी उत्सव प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन सोना और पीतल खरीदा जाता है। इस दिन त्रयोदशी तिथि रहती है इसीलिए इस दिन 13 दीपक जाने की परंपरा है। यदि आप दीये जला ही रहे हैं तो किस्मत बदलने के लिए मात्र 1 रुपए की एक 1 चीज दीपक में डाल दें।* 
*दीपदान से मिलेगी कर्ज से मुक्तिः परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय एक पुराने दीपक में सरसों का तेल डालकर उसे जलाया जाता है। फिर उसे घर में सभी जगह घुमाया जाता है और इसके बाद यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है। इसके बाद जल चढ़ा कर दीपदान करते समय यह मंत्र बोला जाता है-* *🚩मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।*
*त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।* 
1. मुख्‍य द्वार आग्नेय कोण में है तो द्वार पर दीपक जलाएं तो उसमें कौड़ी जरूर डालें। 
2. मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो दीपक जलाएं तो उसमें राईं अवश्य डालें।
 3. मुख्‍य द्वार नैऋत्य दिशा में है तो द्वार पर दीपक जलाएं तो उसमें लौंग जरूर डालें। 
4. मुख्‍य द्वार पश्चिम दिशा में है तो दीपक जलाएं तो उनमें एक किशमिश जरूर डालें। 
5. मुख्‍य द्वार वायव्य कोण की दिशा में है तो दीपक में थोड़ी मिश्री जरूर डालें। 
6. मुख्‍य द्वार उत्तर दिशा में है तो दीपक जलाएं तो उनमें एक इलायची जरूर डालें। 
7. मुख्‍य द्वार ईशान दिशा में है तो दीपक जलाएं तो उनमें एक चुटकी हल्दी जरूर डाल दें। 
8. मुख्‍य द्वार पूर्व दिशा में है तो दीपक जलाएं तो उनमें थोड़ा कुमुकुम जरूर डाल दें।

*धनदायक श्री कुबेर उपासना विधि*

कुबेर धन के अधिपति यानि धन के राजा हैं। पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा का एकमात्र उन्हें ही स्वामी बनाया गया है। कुबेर भगवान शिव के परमप्रिय सेवक भी हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हे मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है।

कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।

अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है :- मंत्र :- "ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।"

मन्त्र जप से पहले विनियोग करें :- "अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:"

हवन :- तिलों का दशांस हवन करने से प्रयोग सफल होता है। यह प्रयोग शिव मंदिर में करना उत्तम रहता है। यदि यह प्रयोग बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठ कर हो सके तो अधिक उत्तम होगा। प्रयोग सूर्योदय के पूर्व संपन्न करें।

"मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्।
शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम्।।"

कुबेर के अन्य सिद्ध विलक्षण मंत्र :-

अष्टाक्षर मंत्र :- "ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:"

षोडशाक्षर मंत्र :- "ॐ श्री ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।"

पंच त्रिंशदक्षर मंत्र :- "ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि दापय स्वाहा।"

*जय श्री राधे कृष्णा*

श्री कुबेर पूजन जाप संक्षिप्त विधि

श्रीधनदायक कुबेर यंत्र को लाल कपड़ा बिछाकर चौकी पर स्थापित करें इसके बाद शरीर और पूजन सामग्री एवं भूमि पवित्रीकरण के पश्चात सर्वप्रथम हाथ मे पुष्प लेकर ध्यान मंत्र बोले और यंत्र के ऊपर छोड़ दें इसके बाद घी का दीपक जलाकर आगे की प्रक्रिया करें।

ध्यान मंत्र :-

मनुज बाह्य विमान स्थितम्, गरूड़ रत्न निभं निधि नायकम्।
शिव सखं मुकुटादि विभूषितम्, वर गदे दधतं भजे तुन्दिलम्।।

इसके बाद यथा सामर्थ्य पंचोपचार अथवा षोडशोपचार से पूजन कर यथा कामना मानसिक संकल्प से संकल्प के बाद हाथ या आचमनी में जल लेकर विनियोग मंत्र पढ़ भूमि पर गिरा दें।

कुबेर मन्त्र👉 विनियोग - ॐ अस्य मन्त्रस्य विश्रवा ऋषि:, वृहती छन्द:, कुबेर: देवता, सर्वेष्ट-सिद्धये जपे विनियोग:। ऋष्यादि-न्यास - विश्रवा-ऋषये नम: शिरसि, वृहती-छन्दसे नम: मुखे, कुबेर-देवतायै नम: हृदि। सर्वेष्ट-सिद्धये जपे विनियोगाय नम: 

सर्वांगे षडग्-न्यास

कर-न्यास
अग्-न्यास
ॐ यक्षाय
अंगुष्ठाभ्यां नम:
हृदयाय नम:
ॐ कुबेराय
तर्जनीभ्यां स्वाहा
शिरसे स्वाहा
ॐ वैश्रवणाय
मध्यमाभ्यां वषट्
शिखायै वषट्
ॐ धन-धान्यधिपतये
अनामिकाभ्यां हुं
कवचाय हुं
ॐ धन-धान्य-समृद्धिं मे
कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्
नेत्र-त्रयाय वौषट्
ॐ देही दापय स्वाहा
करतल करपृष्ठाभ्यां फट्
अस्त्राय फट्

 न्यास की प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद इन तीनों में से किसी भी एक मंत्र का जप आज से ही आरम्भ करें तथा दस हजार होने पर दशांश हवन करें या एक हजार मंत्र अधिक जपें। इससे यंत्र भी सिद्ध हो जाता है। वैसे सवालाख जप करके दशांश हवन करके कुबेर यंत्र को सिद्ध करने से तो अनंत वैभव की प्राप्ति हो जाती है।

कुबेर देव को धन का देवता माना जाता है। वे देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, इनकी कृपा से किसी को भी धन प्राप्ति के योग बन जाते हैं। कुबेर को प्रसन्न करने का सुप्रसिद्ध मंत्र इस प्रकार है-

कुबेर देव का मंत्र👉 "ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।"

धन्वं‍तरि स्तो‍त्र
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ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वं‍तरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ 

यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का अमोघ मंत्र एवं स्तोत्र है। इस मंत्र का तीन माह तक रोज 108 बार या इससे अधिक जप करें स्तोत्र पाठ को भी कम से कम 3,5 या 11 पर बढ़े। जप, पाठ करते समय अपने सामने एक कौड़ी (धनलक्ष्मी कौड़ी) रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस कौड़ी को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा। हमेशा उसमें धन भरा रहेगा।

अब मन को एकाग्र करके हनुमान चालीसा का पाठ करें। यदि हनुमान चालीसा का पूर्ण पाठ नहीं कर पा रहे हों तो इन पंक्तियों का पाठ करें :-

"जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोबिद कहि सके कहां ते।।"

इन पंक्तियों के निरंतर जप से हनुमानजी तो प्रसन्न होंगे ही साथ ही यम, कुबेर आदि देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होगी।

दैनिक जाप एवं पाठ पूर्ण होने पर भूमि पर जल गिरा कर माथे से लगाये तथा प्रणाम कर उठ जाए साधना काल मे प्रत्येक दिन यही प्रक्रिया दोहराए।
श्री रांदल ज्योतिष कार्यालय सुरेन्द्रनगर पंड्याजी+919824417090

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

नक्षत्रम्


नक्षत्र मंत्र : वैदिक , पौराणिक और नक्षत्र देवता मंत्र
नक्षत्र मंत्र : वैदिक , पौराणिक और नक्षत्र देवता मंत्र
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मित्रों
हमारे जीवन में नक्षत्रों का भी उतना ही महत्त्व है जितना की नवग्रहों का, ऋषि मुनियों ने नभ मंडल को कल  २७ नक्षत्र में बांटा हैं और प्रतीक राशि के अंतर्गत ३ नक्षत्र आते हैं।
पीड़ा परेशानी होने पर हम ग्रहों की पूजा, दान  और जप तो करते हैं पर नक्षत्रों को भूल जाते हैं। यहाँ आपको नक्षत्रों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवा रहा हूँ जिसमे उनके वैदिक, पौराणिक मंत्र, नक्षत्र देवता के मंत्र और नक्षत्र मंत्र हैं।  अपने नक्षत्र मंत्र के जप करके आप लाभ उठा सकते है उसे बलवान कर सकते हैं साथ ही नक्षत्र की वनस्पति के वृक्ष को लगाकर उसकी सेवा करके यानि नित्य जल देते हुए मंत्र जप कर लाभ ले सकते हैं और यदि किसी कारण से नक्षत्र लाभ न दे रहा हो तो उसे अपने पक्ष में लाभ देने वाला बना सकते हैं।  आपका जन्म नक्षत्र कैसा है और आपके जीवन पर क्या प्रभाव दे रहा है इसके लिए किसी विद्वान पंडित जी या ज्योतिषी से सम्पर्क कर इस जानकारी का लाभ ले सकते हैं।
१) अश्विनी
नक्षत्र: अश्विनी
नक्षत्र देवता : अश्विनीकुमार
नक्षत्र स्वामी : केतु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : कुचला
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मेष राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: घोडा
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव : शुभ
वेद मंत्र
ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो
बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: ।
पौराणिक मंत्र:
अश्विनी देवते श्वेतवर्णो तौव्दिभुजौ स्तुमः
lसुधासंपुर्ण कलश कराब्जावश्च वाहनौ ll
नक्षत्र देवता मंत्र:
अ)ॐअश्विनी कुमाराभ्यां नमः
आ) ॐ अश्विभ्यां नमः
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ अश्वयुगभ्यां नमःl
२) भरणी
नक्षत्र : भरणी
नक्षत्र देवता : यम - आद्य पितर
नक्षत्र स्वामी :शुक्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : आँवला
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मेष राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : हत्ती
नक्षत्र तत्व : अग्नी
नक्षत्र स्वभाव : क्रूर
वेद मंत्र
ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वा
नक्तु पृथ्विया स गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।
पौराणिक मंत्र:
पाशदण्डं भुजव्दयं यमं महिष वाहनम l
यमं नीलं भजे भीमं सुवर्ण प्रतीमागतम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ यमाय् नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ अपभरणीभ्यो नमःl
३) कृतिका
नक्षत्र: कृतिका
नक्षत्र देवता : अग्नी
नक्षत्र स्वामी : रवि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : उंबर, औदुंबर
राशी व्याप्ती : १ले चरण मेष राशीमध्ये,
बाकीचे ३ चरण वृषभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: बकरी
नक्षत्र तत्व :अग्नी
नक्षत्र स्वभाव : क्रूर
वेद मंत्र
ॐ अयमग्नि सहत्रिणो वाजस्य शांति गवं
वनस्पति: मूर्द्धा कबोरीणाम । ॐ अग्नये नम: ।
पौराणिक मंत्र:
कृतिका देवतामाग्निं मेशवाहनं संस्थितम् l
स्त्रुक् स्तुवाभीतिवरधृक्सप्तहस्तं नमाम्यहम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ आग्नेय नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र :ॐ कृतिकाभ्यो नमः
४) रोहिणी
नक्षत्र: रोहिणी
नक्षत्र देवता :ब्रम्हा
नक्षत्र स्वामी : चंद्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :जामुन जांभळी, जांभू
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण वृषभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: सर्प
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: शुभ
वेद मंत्र
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा
अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: )
पौराणिक मंत्र:
प्रजापतीश्वतुर्बाहुः कमंडल्वक्षसूत्रधृत् l
वराभयकरः शुध्दौ रोहिणी देवतास्तु मे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:-
अ) ॐ ब्रम्हणे नमःl
आ) ॐ प्रजापतये नमःll
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ रौहिण्यै नमःl
५) मृगशिरा
नक्षत्र: मृगशिरा
नक्षत्र देवता: चंद्र
नक्षत्र स्वामी: मंगळ
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : खैर (कात)
राशी व्याप्ती : २ चरण वृषभ राशीमध्ये,
बाकीचे २ चरण मिथुन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी :सर्प
नक्षत्र तत्व: वायु
नक्षत्र स्वभाव: शुभ
वेद मंत्र
ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति
यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
श्वेतवर्णाकृतीः सोमो व्दिभुजो वरदण्डभृत् lदशाश्वरथमारूढो मृगशिर्षोस्तु मे मुदे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :-
अ) ॐ चंद्रमसे नमःl
आ) ॐ सोमाय नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र :- ॐ मृगशीर्षाय नमःl
६) आर्द्रा
नक्षत्र: आर्द्रा
नक्षत्र देवता : रुद्र (शिव)
नक्षत्र स्वामी : राहु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : कृष्णागरू,काला तेंदू
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मिथुन राशीमध्ये

नक्षत्र प्राणी : कुत्रा
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव : तीक्ष्ण
वेद मंत्र
ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यां मुतते नम: ।
ॐ रुद्राय नम: ।
पौराणिक मंत्र:
रुद्र श्वेतो वृशारूढः श्वेतमाल्यश्चतुर्भुजःl
शूलखड्गाभयवरान्दधानो मे प्रसीदतु ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ रुद्राय नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ आर्द्रायै नमःl
७) पुनर्वसु
नक्षत्र: पुनर्वसु
नक्षत्र देवता: अदिती
नक्षत्र स्वामी: गुरू
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :बांस / बांबू
राशी व्याप्ती: 3 चरणे मिथुन राशीमध्ये,
बाकीचे १ चरण कर्क राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: मांजर
नक्षत्र तत्व: वायु
नक्षत्र स्वभाव: चर
वेद मंत्र
ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदिति र्माता: स पिता स पुत्र:
विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातम अदितिर्रजनित्वम ।
ॐ आदित्याय नम: ।
पौराणिक मंत्र:
अदितीः पीतवर्णाश्च स्त्रुवाक्षकमण्डलून l
दधाना शुभदा मे स्यात पुनर्वसु कृतारव्या ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :-
अ) ॐ आदित्यै नमःl
आ)ॐ आदितये नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ आर्द्रायै नमःl
८) पुष्य
नक्षत्र: पुष्य
नक्षत्र देवता: गुरु
नक्षत्र स्वामी: शनि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: पिंपळ, पीपल
राशी व्याप्ती :४ हि चरण कर्क राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी :बकरी
नक्षत्र तत्व :अग्नी
नक्षत्र स्वभाव:शुभ
वेद मंत्र
ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु ।
यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम ।
ॐ बृहस्पतये नम:
पौराणिक मंत्र:
वंदे बृहस्पतिं पुष्यदेवता मानुशाकृतिम् l
सर्वाभरण संपन्नं देवमंत्रेण मादरात् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :- ॐ बृहस्पतये नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पुष्याय नमःl
९) आश्लेषा
नक्षत्र:आश्लेषा
नक्षत्र देवता: सर्प
नक्षत्र स्वामी : बुध
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: नागकेसर
राशी व्याप्ती :४ हि चरण कर्क राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : मांजर
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण,शोक
वेद मंत्र
ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:।
ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।
ॐ सर्पेभ्यो नम:।
पौराणिक मंत्र:
सर्पोरक्त स्त्रिनेत्रश्च फलकासिकरद्वयःl
आश्लेषा देवता पितांबरधृग्वरदो स्तुमे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ सर्पेभ्यो नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ आश्लेषायै नमःl
१०) मघा
नक्षत्र: मघा
नक्षत्र देवता: पितर
नक्षत्र स्वामी: केतु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: बरगद
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण सिंह राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: उंदीर
नक्षत्र तत्व: अग्नी
नक्षत्र स्वभाव :क्रुर, उग्र
वेद मंत्र
ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।
प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:
पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।
पौराणिक मंत्र :
पितरः पिण्डह्स्ताश्च कृशाधूम्रा पवित्रिणःl
कुशलं द्घुरस्माकं मघा नक्षत्र देवताःll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ पितृभ्यो नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ मघायै नमः
११)पुर्वा (फाल्गुनी)
नक्षत्र: पुर्वा (फाल्गुनी)
नक्षत्र देवता : भग
नक्षत्र स्वामी : शुक्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : पलाश (पळस)
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण सिंह राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी:उंदीर
नक्षत्र तत्व: क्रुर
नक्षत्र स्वभाव : शुभ
वेद मंत्र
ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: ।
भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: ।
ॐ भगाय नम: ।
पौराणिक मंत्र:
भगं रथवरारुढं व्दिभुंज शंखचक्रकम् l
फाल्गुनीदेवतां ध्यायेत् भक्ताभीष्टवरप्रदाम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ भगाय नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पुर्व फाल्गुनीभ्यां नमःl
१२) उत्तरा (फाल्गुनी)
नक्षत्र:उत्तरा (फाल्गुनी)
नक्षत्र देवता : अर्यमा
नक्षत्र स्वामी: रवि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष पाकड़
राशी व्याप्ती १ ले चरण सिंह राशीमध्ये,
बाकीचे ३ चरण कन्या राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: गाय
नक्षत्र तत्व :वायु
नक्षत्र स्वभाव: शुभ
वेद मंत्र
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
ॐ अर्यमणे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
संपूजयाम्यर्यमणं फाल्गुनी तार देवताम् l
धुम्रवर्णं रथारुढं सुशक्तिकरसंयुतम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :- ॐ अर्यम्ने नमः
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तरा फाल्गुनीभ्यां नमःl
१३) हस्त
नक्षत्र :हस्त
नक्षत्र देवता : सुर्य
नक्षत्र स्वामी : चंद्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : ,चमेली रीठा
राशी व्याप्ती :४ हि चरण कन्या राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : म्हैस
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव: शुभ, सत्वगुणी
वेद मंत्र
ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम

वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति ।
ॐ सावित्रे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
सवितारहं वंदे सप्ताश्चरथ वाहनम् l
पद्मासनस्थं छायेशं हस्तनक्षत्रदेवताम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :- ॐ सवित्रे नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ हस्ताय नमः
१४) चित्रा
नक्षत्र : चित्रा
नक्षत्र देवता: त्वष्टा
नक्षत्र स्वामी: मंगळ
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: बेल
राशी व्याप्ती : २ चरण कन्या राशीमध्ये,
बाकीचे, २ चरण तुळ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: वाघ
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण
वेद मंत्र
ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम ।
द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: ।
त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
त्वष्टारं रथमारूढं चित्रानक्षत्रदेवताम् l
शंखचक्रान्वितकरं किरीटीनमहं भजे ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ त्वष्ट्रे नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ चित्रायै नमःl
१५) स्वाती
नक्षत्र :स्वाती
नक्षत्र देवता: वायु
नक्षत्र स्वामी : राहु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: अर्जुन
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण तुळ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: म्हैस
नक्षत्र तत्व: अग्नी
नक्षत्र स्वभाव: शुभ
वेद मंत्र
ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो
युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर:
स्वपत्थ्या निचक्रु: । ॐ वायव नम: ।
पौराणिक मंत्र:
वायुवरं मृगारुढं स्वाती नक्षत्र देवताम् l
खड्.ग चर्मोज्वल करं धुम्रवर्ण नमाम्यह्म् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ वायवे नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ स्वात्यै नमःl
१६) विशाखा
नक्षत्रः विशाखा
नक्षत्र देवता : इंद्राग्नी
नक्षत्र स्वामी : गुरू
नक्षत्र आराध्य वृक्ष:  कटाई, नागकेशर
राशी व्याप्ती : पहिले 3 चरण तुळ राशीमध्ये,
बाकीचे १ चरण वृश्चिक राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : वाघ
नक्षत्र तत्व : वायु
नक्षत्र स्वभाव: अशुभ
वेद मंत्र
ॐ इन्द्रान्गी आगत गवं सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम ।
अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।
पौराणिक मंत्र:
इंद्राग्नीशुभदौ स्यातां विशाखा देवतेशुभे l
नमोम्ये करथारुढौ वराभयकरांबुजौ l
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ इंद्राग्नीभ्यां नमः
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ विशाखाभ्यां नमःl
१७) अनुराधा
नक्षत्र :अनुराधा
नक्षत्र देवता : मित्र
नक्षत्र स्वामी : शनि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :मौलश्री
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण वृश्चिक राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: हरीण
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: शुभ
वेद मंत्र
ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत
गवं सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश
गवं सत । ॐ मित्राय नम: ।
पौराणिक मंत्र:
मित्रं पद्मासनारूढं अनुराधेश्वरं भजे l
शूलां कुशलसद्भाहुं युग्मंशोणितवर्णकम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ मित्राय नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ अनुराधाभ्यो नमःl
१८) जेष्ठा
नक्षत्र: जेष्ठा
नक्षत्र देवता: इंद्र
नक्षत्र स्वामी :बुध
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: निर्गुडी/चीड़
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण वृश्चिक राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: हरीण
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण
वेद मंत्र
ॐ त्राताभिंद्रमबितारमिंद्र गवं हवेसुहव गवं शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं
पुरुहूतभिंद्र गवं स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: । ॐ इन्द्राय नम: ।
पौराणिक मंत्र:
श्वेतहस्तिनमारूढं वज्रांकुशलरत्करम् l
सहस्त्रनेत्रं पीताभं इंद्रं ह्रदि विभावये ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ इंद्राय नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ जेष्ठायै नमःl
१९) मूळ
नक्षत्र:मूळ
नक्षत्र देवता: निॠति (राक्षस)
नक्षत्र स्वामी: केतु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष : साल
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण धनु राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: कुत्रा
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव: तीक्ष्ण
वेद मंत्र
ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि गवं स्वयोनावभारुषा तां
विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त ।
ॐ निॠतये नम: ।
पौराणिक मंत्र: खड्.गखेटधरं कृष्णं यातुधानं नृवाहनम् l
अर्ध्वकेशं विरुपाक्षं भजे मुलाधिदेवताम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ निॠतये नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ मुलाय नमःl
२०) पूर्वाषाढा
नक्षत्र: पूर्वाषाढा
नक्षत्र देवता: जल/ उदक
नक्षत्र स्वामी: शुक्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: वेत
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण धनु राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी:वानर
नक्षत्र तत्व: जल
नक्षत्र स्वभाव: उग्र
वेद मंत्र
ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद
यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।
पौराणिक मंत्र:
आषाढदेवता नित्यमापः सन्तु शुभावहाःl
समुद्र गास्तरा गिणोल्हादिन्यःसर्वदेहिनाम्ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ अद्भयो नमःl

नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमःl
२१) उत्तराषाढा
नक्षत्र: उत्तराषाढा
नक्षत्र देवता: विश्वदेव
नक्षत्र स्वामी: रवि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :फणस, कटहल
राशी व्याप्ती : पहिले चरण धनु राशीमध्ये,
बाकीचे ३ चरण मकर राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: मुंगुस
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: स्थिर
वेद मंत्र
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा:
विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।
पौराणिक मंत्र:
विश्वांदेवान् अहं वंदेषाढनक्षत्रदेवताम् l
श्रीपुष्टिकीर्तीधीदात्री सर्वपापानुमुक्तये ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमःl
२२) श्रवण
नक्षत्र: श्रवण
नक्षत्र देवता: विष्णु
नक्षत्र स्वामी: चंद्र
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: रुई ( अर्क ) मंदार
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मकर राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: वानर
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: चर
वेद मंत्र
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो
धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
शांताकारं चतुर्हस्तं श्रोणा नक्षत्रवल्लभम् l
विष्णु कमलपत्राक्षं ध्यायेद् गरुड वाहन् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ विष्णवे नमः l
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ श्रवणाय नमःl
२३) धनिष्ठा
नक्षत्र: धनिष्ठा
नक्षत्र देवता :वसु
नक्षत्र स्वामी: मंगळ
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: शमी
राशी व्याप्ती: पहिले २ चरण मकर राशीमध्ये,
बाकीचे २ चरण कुंभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: सिंह
नक्षत्र तत्व: पृथ्वी
नक्षत्र स्वभाव: थोडेसे शुभ
वेद मंत्र
ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम ।
देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: ।
ॐ वसुभ्यो नम: ।
पौराणिक मंत्र
श्राविष्ठादेवतां वंदे वसुन्वरधराश्रिताम् l
शंखचक्रांकितरांकिरीटांकित मस्तकाम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ वसुभ्यो नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ धनिष्ठायै नमःl
२४) शतभिषा
नक्षत्र: शतभिषा
नक्षत्र देवता: वरुण
नक्षत्र स्वामी: राहु
नक्षत्र आराध्य वृक्ष :कदंब
राशी व्याप्ती : ४ हि चरण कुंभ राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: घोडा
नक्षत्र तत्व: जल
नक्षत्र स्वभाव: चर
वेद मंत्र
ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य
ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि ।
ॐ वरुणाय नम: ।
पौराणिक मंत्र:
वरुणं सततं वंदे सुधाकलश धारीणम् l
पाशहस्तं शतभिशग् देवतां देववंदीतम ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ वरुणाय नमः
नक्षत्र नाम मंत्र :- ॐ शतभिषजे नमः
२५) पुर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र: पुर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र देवता: अजैक चरण
नक्षत्र स्वामी: गुरू
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: आंबा, आम
राशी व्याप्ती : पहिले ३ चरण कुंभ राशीमध्ये,
बाकीचे १ चरण मीन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी :सिंह
नक्षत्र तत्व: अग्नी
नक्षत्र स्वभाव: उग्र
वेद मंत्र
ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा
ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु ।
ॐ अजैकपदे नम:।
पौराणिक मंत्र:
शिरसा महजं वंदे ध्येकपादं तमोपहम् l
मुदे प्रोष्ठपदेवानं सर्वदेवनमस्कृतम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र :-
ॐ अजैकपदे नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ पुर्वाप्रोष्ठपद्भ्यां नमःl
२६) उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र : उत्तराभाद्रपदा
नक्षत्र देवता : अहिर्बुंधन्य
नक्षत्र स्वामी: शनि
नक्षत्र आराध्य वृक्ष:नीम
राशी व्याप्ती : ४ ही चरण मीन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी: गायक
नक्षत्र तत्व : जल
नक्षत्र स्वभाव : ध्रुव
वेद मंत्र
ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि गवं सो
निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) ।
पौराणिक मंत्र:
अहिर्मे बुध्नियो भूयात मुदे प्रोष्ठ पदेश्वरःl
शंखचक्रांकीतकरः किरीटोज्वलमौलिमान् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ उत्तरप्रोष्ठपदभ्यां नमःl
२७) रेवती
नक्षत्र : रेवती
नक्षत्र देवता :पूषा
नक्षत्र स्वामी :बुध
नक्षत्र आराध्य वृक्ष: महुआ
राशी व्याप्ती : ४ ही चरण मीन राशीमध्ये
नक्षत्र प्राणी : हत्ती
नक्षत्र तत्व: जल
नक्षत्र स्वभाव: मृदु
वेद मंत्र
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन ।
स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: ।
पौराणिक मंत्र:
पूषणं सततं वंदे रेवतीशं समृध्दये l
वराभयोज्वलकरं रत्नसिंहासने स्थितम् ll
नक्षत्र देवता नाममंत्र:- ॐ पूष्णे नमःl
नक्षत्र नाम मंत्र:- ॐ रेवत्यै नमःl
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