शनिवार, 7 सितंबर 2019

ब्राह्मण

"ब्राह्मण"
प्रत्येक जीव के अभाव को नष्ट करें
प्रकृति भी सदा भक्ति भाव रस पायें
वैदिक ज्ञान का तेज बल सिद्धायें
जीव के हित लिए पल पल खुद का ऐश्वर्य लूटायें
साधना, श्रेष्ठता, संयम, वैराग्य को उत्सायें
वितरागता, संतुष्टि, प्रसन्नता, दिव्यता का तेज प्रकटायें
जीव के अंतकरण में शुद्ध वांछना ही जगायें
प्रत्येक परिस्थिति को सुरक्षित सजायें
धर्म की पराकाष्ठा से सिंचित करायें
प्रारब्ध को प्रसाद बना कर हर तत्वों में बटायें
श्रेष्ठ उद्यमता से सर्वे का निर्वाह करने की शिक्षा दर्शायें
हर तत्व को ब्रह्म में परिवर्तन करायें
उन्हें ब्राह्मण समझना है।
यही वंदनीय है।
यही प्राणमयी है।
यही ब्रह्ममय है।
यही आत्मीय है।
"जय श्री कृष्ण"🌷🙏🌷

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