होमे मुद्रा स्मृतास्तिस्रो
होमे मुद्रा स्मृतास्तिस्रो
मृगी हंसी च सूकरी।
मुद्राँ बिना कृतो होमः
सर्वो भवति निष्फलः।
शान्तके तु मृगी ज्ञेया
हंसी पौष्टिक कर्मणि।
सूकरी त्वभिचारे तु
कार्ण तंत्र विदुत्तमेः।
-परशुराम कारिका
होम में मृगी, हंसी तथा सूकरी यह तीन मुद्रा प्रयुक्त होती हैं। मुद्रा रहित हवन निष्फल होता है। शान्ति कर्मों में मृगी मुद्रा, पौष्टिक कर्मों में हंसी और अभिचार कर्मों में सूकरी मुद्रा प्रयुक्त होती है।
कनिष्ठा तर्जनी हीना
मृगी मुद्रा निरुच्यते।
हंसी मुक्त कनिष्ठा स्यात्
कर संकोच सूकरी।
-परशुराम कारिका
कनिष्ठा और तर्जनी उंगलियाँ जिसमें प्रयुक्त न हों वह मृगी मुद्रा है कनिष्ठा रहित हंसी मुद्रा होती हैं और हाथ को सकोड़ने से सुकरी मुद्रा बन जाती है।
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