पारद शिवलिंग
अनंत काल से मानव का ये सहज स्वभाव रहा है के जब तक वो किसी चमत्कारी वास्तु को स्वयं देख परख नहीं लेता तब तक वो विशवास नहीं करता । उधाहरण के लिए यदि आज से 25 वर्ष पहले कोई हमसे कहता के भविष्य मे इस तरह के फ़ोन अयेंगे जिन में कोई तार नहीं लगी होगी , उसमे कैमरा भी होगा , वो अपने आप रास्ता भी बताएगा ,उसमे ही फिल्में भी देख सकेंगे ,वो हर प्रकार की जानकारी भी देगा , उसमें बहुत दूर बैठे हुए दोस्त के साथ एक दूसरे को देखते हुऐ बात हो जाया करेगी , वगैरह वगैरह .... , तो शायद हम उसे एकदम सिरफिरा या पागल कहते , लेकिन आज स्मार्ट फोन एक आम बात हो गयी है ।
रसशस्त्र भी अभी तक साबित नहीं हुआ है इसीलिए ये कुछ लोगो के लिए अविश्वसनीय है , रसशस्त्र में लिखा है मूर्छित पारा रोगी के रोगों को दूर करता है इस बात पर तो सभी विश्वास कर लेंगे क्योंकि ये बात साबित हो चुकी है । मूर्छित पारा क्या है ... ये है रस सिन्दूर, मकर ध्वज, रस कपूर और आयुर्वेद के रस रसायन जो सभी बीमारियो को जड़ से खत्म करते है और बैद्यनाथ , डाबर अदि बड़ी कंपनियों द्वारा बनाये जाते हैं और इनका सेवन कर लोग बीमारी से मुक्ति प्राप्त करते हैं , अब ये बात साबित हो चुकी इस लिए ये कोई आश्चर्य का विषय नहीं है ।
अब आगे लिखा है के पारे के माधयम से मनुष्य आकाश मार्ग से यात्रा कर सकता है , ये आश्चर्य का विषय है क्योंके अभी तक साबित नहीं हुआ । ऐसे पारे को रस ग्रंथों में खेचरी बद्ध पारद कहा गया है जिस के माधयम से विमान भी उड़ाए जाते थे , रावण का पुष्पक विमान इसी खेचरी बद्ध पारद से उड़ाया जाता था ऐसा रस ग्रन्थो में लिखा है ।
अब आगे लिखा है के बद्ध पारा धन दे , ये भी आश्चर्य का विषय है ... पारा धन कैसे देगा ? , पारे के कुल 18 संस्कार बताये गए हैं जिन में से 17वा संस्कार का नाम है वेध , जिसका अर्थ है ऐसा पारा जो स्पर्श करने से ही निम्न धातुओं को स्वर्ण में परवर्तित कर सकता है , कुछ लोग इस बात पर बहुत संदेह करते है लेकिन जब वे मेरे द्वारा बनाये गए शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण की चमक आते हुए अपनी आँखों से देखते हैं तो कुछ सोचने के लिए तो मजबूर हो ही जाते हैं ,यहाँ मे अपनी प्रशंसा नहीं करना चाहता बल्कि ये कहना चाहता हु के ये विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है । मैंने सिर्फ 8 संस्कार किये है और इस अष्ट संस्कार युक्त पारद शिवलिंग पर सोने को चमक आती है ये उन लोगो ने भी देखा है जिन को ये शिवलिंग मैंने बना कर दिए हैं ।
अगर 8 संस्कार किये हुए पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी चमक आ सकती है तो 17 संस्कार किये हुए पारे से स्वर्ण निर्माण भी संभव है , इसमें कोई शक नहीं ।
अब आगे सब से आश्चर्यजनक बात लिखी है के मृत पारा मृत्यु का नाशक है और सदा तरुणावस्था मतलब जवानी को स्थिर रखने वाला और पृथ्वी के समस्त रोगों को दूर करने वाला है ,ऐसा भी लिखा हुआ है के न तो ऐसा कोई रोग हुआ है और न ही भविष्य में कोइ ऐसा रोग हो सकता है जिसे मृत पारद (पारे की भस्म) से ठीक न किया जा सकता हो। रस शास्त्र में पारे की सिद्धि दो तरह से बताई गयी है धातुवाद और देहसिद्ध , 17 संस्कार तक धातुवाद और 18 वा संस्कार जिसे भक्षण या शरीरयोग कहते हैं वो देहसिद्ध के लिए किया जाता है । रस शस्त्र में ये साफ़ लिखा है के परम लक्ष्य देहसिद्ध होना चाहिए न के धातुवाद क्योंकि सिर्फ सोना बना लेने की विधी को रसशस्त्र की पूर्णता मान लेना वैसा ही है जैसे कोई समुन्द्र में से कुछ कौड़िया प्राप्त कर के संतुष्ट हो जाये ।
देहसिद्ध रसयोगी पूर्णता स्वस्थ रह कर हज़ारों वर्षों तक जीवत रहते थे , जिसकी उधाहरण हमे रामायण और महाभारत में मिलती है ।
महर्षि विश्वामित्र जी का वर्णन हमे रामायण में भी मिलता है और महाभारत में भी , जब के दोनों में दो युगों का अंतर है । रामायण त्रेता युग में हुई थी और महाभारत द्वापर युग में । दो युग बीत गए और महर्षि विश्वामित्र जी दोनों युगों में उपस्थित हैं ये कैसे संभव है ...?
अंत में यही कहूँगा के संभव है ... लेकिन मानव का ये सवभाव है के जब तक वो किसी चमत्कार को स्वयं न देख ले तब तक वो विश्वास नहीं करता ।
~~~~ ॐ नमः शिवाय् ~~~~