राग एवं चक्र -
राग एवं चक्र -
मूलाधार - हिंडोल , हंसध्वनि , श्यामकल्याण
स्वाधिषठान - गुर्जरी तोड़ी , यमन
मणिपुर - मालकौंस, आभोगी , भीमपलासी
अनाहत - भैरव , अहीर भैरव , दुर्गा
विशुद्धि - जैजैवंती , देश
आज्ञा - भुपाली , बागेश्वरी ,
सहस्त्रार - दरबारी , भैरवी , दरबारी कानड़ा , सिंधु भैरवी
इन रागों का श्रवण अथवा गायन करते हुए ध्यान करने से आपके चक्र सक्रिय होते हैं।
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